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पुस्तक का नाम '' सशक्तीकरण '' : लेखक : अरविन्द पाण्डेय !! बिहार के माननीय मुख्यमंत्री श्री जीतनराम मांझी जी द्वारा 23 अगस्त 2014 को संवाद भवन, पटना में '' सशक्तीकरण '' का लोकार्पण किया गया............

पुस्तक का नाम '' सशक्तीकरण '' : लेखक : अरविन्द पाण्डेय !!
बिहार के माननीय मुख्यमंत्री श्री जीतनराम मांझी जी द्वारा 23 अगस्त 2014 को संवाद भवन, पटना में '' सशक्तीकरण '' का लोकार्पण किया गया.................
...................अनेक वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की उपस्थिति में बिहार के आदरणीय पुलिस महानिदेशक और समाज कल्याण विभाग के प्रधान सचिव श्री अमरजीत सिन्हा, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति कल्याण विभाग के सचिव श्री हुकुम सिंह मीणा द्वारा भी अपने विचार व्यक्त किये गए.......
......................... यह पुस्तक मानव-व्यापार निरोध, अत्याचार निवारण और निरोध, किशोर न्याय और स्त्री के विरुद्ध अपराध के विभिन्न पक्षों पर विधिक हस्तक्षेप की प्रविधियां प्रस्तुत करती है..........इसे बिहार के सभी पुलिस अधिकारियों को निःशुल्क उपलब्ध कराया जाएगा ................

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भारत सरकार के मंत्रिमंडल में बिहार के प्रतिनिधित्व से बिहार के दस करोड़ नागरिकों के लिए विकास के अतिरिक्त अवसरों का सृजन होगा....

भारत सरकार के मंत्रिमंडल में बिहार के प्रतिनिधित्व से बिहार के दस करोड़ नागरिकों के लिए विकास के अतिरिक्त अवसरों का सृजन होगा.......बिहार के सभी नव नियुक्त माननीय मंत्रिगण को असीम शुभ कामनाएं................... सभी मित्रों से अनुरोध है कि कम से कम अगले १५ वर्षों तक यही चिंतन और चिंता करें कि विश्व-मंच पर भारत माता का सम्मान और शक्ति कैसे प्रदीप्त हो ..........
.............................. किन्तु, सोशल मीडिया पर इस घटना को भी विषाक्त जातीय चश्में से देखा जा रहा है.......
................. आज जब दीपावली के अवसर पर चीन, तीन हज़ार करोड़ की दीपावली सम्बंधित वस्तुएं बेचकर भारत के सौ अरब से अधिक लोगों के पौरुष को चुनौती दे रहा तब हम अठारहवीं शताब्दी के किसी अशिक्षित ग्रामीण की तरह ये कहते हैं कि ब्राह्मण को नहीं स्थान मिला,, इसको नहीं स्थान मिला उसको नहीं स्थान मिला......
.....................ब्राह्मण शब्द का प्रयोग इसलिए मैंने किया क्योकि वर्तमान जातीय परिभाषा में मैं स्वयं ब्राह्मण हूँ......... किन्तु आज का टी वी समाचार देखकर मुझे सिर्फ ये लगा कि बिहार के प्रतिनिधित्व से बिहार का कल्याण होगा ..........
................. अपने कर्तव्य पालन और समाज-सेवा के क्षेत्र में काम करते समय मुझे कभी ये स्मरण नहीं हुआ कि मेरी जाति, मेरा सम्प्रदाय क्या है ................ किन्तु आज पहली बार मैंने अपने लिए ब्राह्मण शब्द का प्रयोग किया है....... क्योकिं ब्राह्मण या किसी अन्य जातीय चश्में का प्रयोग कुछ लोग पारस्परिक सौहार्द की संरक्षा के सिद्धांत के के प्रतिकूल

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सन्दर्भ - मणिपुर में हमारा अपमान :

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ब्राह्मण कौन??

बिहार के भोजपुर जिले के सहार-सन्देश पथ पर भगवान नीलकंठ का एक मंदिर अवस्थित है| और , इस देश के करोडो लोग न जाने कितने हज़ार वर्षों से मानते चले आ रहे हैं कि सावन मास, में गंगाजल से भगवन शिव का अभिषेक करने पर परमात्मा कि प्राप्ति होती हैं|

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भावी गौरवपूर्ण क्रांति की भूमि बनेगा बिहार

आम तौर पर बिहार में सामूहिक चेतना का मूल तत्व राजनीती रहती है पर अब स्तिथि में परिवर्तन होने लगा है| सामूहिक चेतना में आर्थिक विषय भी आने लगे है| विकास कि बात भी होने लगी है|यह एक सुबह संकेत है|

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यही सोचो बिहार को तुमने क्या दिया, यह मत सोचो बिहार ने तमको क्या दिया

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